चाँद तुझे चाँदनी की कसम
रात तुझे झिलमिलाते सितारों की कसम
पिया की यादों में मुझे खोने न देना
भरी बरसात मुझे यूँ रोने न देना !
दिल टूट का मुझ पर बड़ा सितम ढाता
उसके नाम पर जिया थम सा जाता !
साँसे निकल कर हथेली पर रोक सी जाती है !
रूह जिस्म को बस देखती रह जाती है !
चाँद तुझे चाँदनी की कसम
अपने अक्स में उसको उभरने न देना
उसको अपना मुखड़ा दिख न पाऊँगी !
ज़ख्मो को उससे छुपा न पाऊँगी !
वो भाप जाता है मेरी हर झूठी मुस्कान को
जिन अनकहे अल्फ़ाज़ को होंठो पर सी लेती हूँ !
जुदाई के जहर हो भी हँस कर भूल देती हूँ !
मुझे देख कर रह न पायेगा कब्र मे भी अश्क़ बहाएगा!
चाँद तुझे चाँदनी की कसम
उसको मेरा दर्द सुना न देना
मर कर भी एक पल वो सुकून न पाएगा !
अपनी आह से वहाँ भी तूफान मचाएगा !
ऐ हवाओँ उसकी महक अँजुरी भर लाना
रूह को भी मेरी गले तुम लगा जाना !
उसकी साँसों की गर्माहट को मेरी साँसों में घोल जाना !
बन कर जुगनू मेरी ज़िन्दगी को कुछ लम्हो का करार दे जाना !
कहानी शर्मा
मैं लेखक नही हूँ फिर भी एक छोटी सी पहल की लिखने की
Shrishti pandey
15-Mar-2022 05:50 PM
Nice
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Seema Priyadarshini sahay
15-Mar-2022 05:09 PM
बहुत खूबसूरत रचना
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Gunjan Kamal
15-Mar-2022 02:24 PM
Nice one
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