Kahani sharma

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चाँद तुझे चाँदनी की कसम



चाँद तुझे चाँदनी की कसम 
रात तुझे झिलमिलाते सितारों की कसम 
पिया की यादों में मुझे खोने न देना 
भरी बरसात मुझे यूँ रोने न देना ! 

दिल टूट का मुझ पर बड़ा सितम ढाता 
उसके नाम पर जिया थम सा जाता ! 
साँसे निकल कर हथेली पर रोक सी जाती है ! 
रूह जिस्म को बस देखती रह जाती है ! 

चाँद तुझे चाँदनी की कसम 
अपने अक्स में उसको उभरने न देना 
उसको अपना मुखड़ा दिख न पाऊँगी ! 
ज़ख्मो को उससे छुपा न  पाऊँगी ! 

वो भाप जाता है मेरी हर झूठी मुस्कान को 
जिन अनकहे अल्फ़ाज़ को होंठो पर सी लेती हूँ ! 
जुदाई के जहर हो भी हँस कर भूल देती हूँ ! 
मुझे देख कर रह न पायेगा कब्र मे भी अश्क़ बहाएगा! 

चाँद तुझे चाँदनी की कसम 
उसको मेरा दर्द सुना न देना 
मर कर भी एक पल वो सुकून न पाएगा ! 
अपनी आह से वहाँ भी तूफान मचाएगा ! 

ऐ हवाओँ उसकी महक अँजुरी भर लाना 
रूह को भी मेरी गले तुम लगा जाना ! 
उसकी साँसों की गर्माहट को मेरी साँसों में घोल जाना !
बन कर जुगनू मेरी ज़िन्दगी को कुछ लम्हो का करार दे जाना ! 


कहानी शर्मा 

मैं लेखक नही हूँ फिर भी एक छोटी सी पहल की लिखने की 






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8 Comments

Shrishti pandey

15-Mar-2022 05:50 PM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

15-Mar-2022 05:09 PM

बहुत खूबसूरत रचना

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Gunjan Kamal

15-Mar-2022 02:24 PM

Nice one

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